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Anita Sudhir

Abstract

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Anita Sudhir

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वक़्त

वक़्त

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वक़्त मेरे लिये कुछ निकाला करो

काम अपने सिरे सब न पाला करो


चार दिन जिंदगी के बचे अब यहाँ,

सन्तुलन अब रहे, कुछ निराला करो।


साँझ अब जिंदगी की यहाँ हो रही,

वक़्त को साध लो मन न काला करो।


तुम बहुत जी लिये दूसरों के लिये,

खुद कभी को जरा अब संभाला करो।


दौड़ती ही रही जिंदगी हर घड़ी,

थाम लो अब इसे वक़्त ढाला करो।


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