वो प्यार,क्या प्यार?
वो प्यार,क्या प्यार?
वो प्यार, क्या प्यार?..
जो ज़ख्मों का हिसाब लगाएगी
गुल से लिपटी खुशबू....
जो चंद भवरो से छूट जाएगी
सुबह का भूला हूं...
शाम बस तेरे आंगन की लुभाएगी
हम रूठते इसी लिए थे पगली...
मनाने तू पास आएगी
अधूरा सब रह जाएगा..
मुकम्मल क्या साथ ले जाएगी
प्यार तो पेटभर होना चाइए ना..
प्यास ये कैसे बुझाएगी
माफी की महोताज नही
इंतजार भी बेशुमार कर जाएगी
जा करले खता बेहिसाब तू,
दिल्लगी में कमी ना आएगी
ए दिल...माना है मुश्किल!..
तुझसे मोहब्बत बिन तेरे भी कर जाएगी
एक तरफा ही सही...
देखना याद बनकर भी साथ निभाएगी
वो प्यार, क्या प्यार?..
जो ज़ख्मों का हिसाब लगाएगी!