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Herat Udavat

Romance

4  

Herat Udavat

Romance

वो मुलाकात

वो मुलाकात

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मूंछ का दाना अभी ही फूटा था,

जज्बातों का लहू में सैलाब उमड़ा था,

बाइक पे सवार हम अकेले ही

अपनी बारात लेके आये थे।


नीम के पेड़ के नीचे पनपती वो

प्यार की मुलाकत आज भी मुझे याद है,

वो पहला सावन, वो बारिश की बूंदें

आज भी बहुत खास है।


सामने एक्टिवा पर आती

दिखती हर लडकी

मानो हमारी ही दुल्हन थी,

नाखून चबाते बारिश में

किया उसका इंतजार ,

आज भी मुझे याद है,

वो पहला सावन वो बारिश की

बूंदें आज भी बहुत खास है।


ओढ़ राखा था दूपट्टा तूमने,

आंखो पे भी लगाया था

खुबसूरत सा चश्मा,

उस चश्मे के भीतर छूपा हसीन

आंखों का काजल आजभी हमें याद है,

वो पहला सावन वो बारिश की

बूंदें आज भी बहुत खास है।


अभी तो हटाया था दुपट्टा मुह से तूमने

और ठंडी हवामे तुम्हारी जुल्फे लहराई थी,

चांद उतरा मानो धरती पे,

बादल ने सुरज की किरणें ढकवाई थी,

कायनात पे आयी क़यामत

आज तक हमें याद है,

वो पहला सावन, वो बारिश की बूंदें,

आज भी बहुत खास है।



वो सावन का जमके बरसाना,

वो बिजली का बेवजह चमकना

डर के मारे तेरा यू मुजसे लिपटना,

आजभी मानो रोम रोम में

दहकती एक आग है,

वो पहला सावन, वो बरिश की बूंदें

आज भी वो बहुत खास है।


होठों को चूमा था उसके,

बारिश की बूंदों ने,

कुछ मोती ऊसके केसूं पर भी गिरे थे,

होठों से बहती उन बूंदों को पीने की

तलब आज भी आबाद है,

वो पहला सावन वो बूंदे आज भी बहुत खास है।


आँखों के आंसू में बारिश का घूलना,

उसको जाते हुये दूर तक देखना,

उसको पाने के लिए

दिल मे उठी हुयी "टीस"

आज भी बरकारार है,

वो पहला सावन, वो बारिश की बूंद

आज भी बहुत खास है।


फ़िर से गुज़र रहा हूँ,

उन्हीं रास्तो पे बहुत सालों के बाद,

मानो वही ठहर गया हूं मैं

ऊस मुलाकात के बाद,


नीम के पेड़ के नीचे पनपे मेरे

नादान इश्क पर आज भी मुझे नाज़ है,

वो पहला सावन

वो बरिश की बूंदें आज भी बहुत खास है।


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உள்நுழை

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