वो अगर जोर से हंस दें
वो अगर जोर से हंस दें
हुस्न वाले तो आंखों आंखों में मुस्कुराते हैं
दबी दबी हंसी से ही वे कयामत बरपाते हैं
शोख अदाओं से करते हैं सरे बाजार कत्ल
और सितम यह, फिर भी मासूम कहलाते हैं।
उनकी नशीली नजर फिर कमाल कर गई
तिरछी मुस्कान महफिल में धमाल कर गई
पल्लू को दांतों तले दबा लजाने की वो अदा
ना जाने कितने आशिकों को बेहाल कर गई।
अगर वो नजर उठा दें तो भूचाल आ जाए
घनेरी जुल्फों को झटक दें तो तूफां आ जाये
उन्हें देखने से ही बंध जाती है घिग्घी बदन में
अगर वो जोर से हंस दें तो कायनात हिल जाये।