STORYMIRROR

Rushabh Notey

Romance

2  

Rushabh Notey

Romance

वो अधुरा इश्क।।

वो अधुरा इश्क।।

1 min
188


पन्नो पे लिखे अक्षरो सा था ना सब,

कितना हसीन लेकिन कमज़ोर था ना वो सब।

पता ही ना चला और स्याही फैल गई,

तुम पहली बारिश मेंं ही कहानी अधूरी छोड़ गई।


इस सफ़र की कुछ आखिरी पटरिया इस तरह बिखरी

ना पुल बांध सका मै और देखते देखते बाढ़ आ गई।

पीछे बैठ थाम जो रखा था तूने मुझे हर राह पर ,

याद मत करना अब वो रास्ते, जहां तेरी मेंरी बातें थी पेड़ों की जुबान पर।


तुम कह जो गए के, समझता नहीं मै तुम्हे,

क्या कभी कोशिश भी थी तुम्हारी,

मेंरी तरफ़ दे इक एक दफा जान लेने कि मुझे।।

कितने दफे तो आरुष ने ठोकर खायी थी,

तेरी आवाज न सुने मैंने अपनी हर रात की सरगम बनाईं थी।


ुम तो वक्त से भी तेज निकले,

ना रूके कभी मेंरे लिए,

ना वापस आए कभी मुड़के मेंरे लिए।

दस्तक देती घडी की सुइयां भी

हर घंटे मेंं लौट तो आती है अपनी जगह,

तू तो भूल ही गया जैसे

मै था बेमौसम बरसात की तरह।


अब क्या याद रखोगे तुम मेंरी इबादत को,

इस फजूल से ज़माने की आड़ मेंं 

छुपा जो लिया था तुमने मुझको।

मैं भी पागल फकीर ही तो था,

पढ़ रहा था तेरे लिए मन्दिरो में

पांच बारी नमाजे जो।।


कुछ बाते बेजुबान ही होती है,

कुछ यादे जेहन में ही अच्छी होती है ।।

उसके जाने के बाद मै बदला तो नहीं था,

लेकिन अब उसके वापस आने से मै डरता जरूर था।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance