वंदना
वंदना
आओ चलो करें एक विचार
विषय हो वंदना फिर इस बार
जन्म और मृत्यु में होता है भेद एक
होता है चेतना का अंतर एक
विश्व चेतना को करता हूं प्रणाम
करती है जो बिगड़े काम
आओ चलो करें प्रणाम
जो है चेतना का परिणाम
आओ चलो शीश चढ़ाएं
मातृभूमि को अपना बनाएं
जन्म मृत्यु का चक्कर है अनंत बार
तोड़ना है इस चक्र को फिर आज
आओ चलो करें प्राप्त मोक्ष
मोक्ष से बढ़कर है क्या कोई
आओ चलो मोक्ष के गुण गाए
जीवन में परोपकार अपनाएं
दया शांति विवेक सद्भाव एक
सृष्टि की शक्ति अनेक।