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Vinay Patel

Abstract

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Vinay Patel

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विनय की विरह व्यथा

विनय की विरह व्यथा

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 आओ चलो करें एक विचार 

 विषय हो लेखक की पीड़ा फिर आज 


आसान कहां है भूलना किसी को आज

फिर भी भूलने की कोशिश की थी आज


जब विरह की पीड़ा आती है हर बार

मातृभूमि के गीत लिखता हूं हर बार 


आओ सुनाऊं रचना में अपनी सारी 

परोपकार है सबसे भारी


 दिल भी रोता है आंसू भी निकलते हैं 

 जब मेरा सैनिक सरहद पर शहीद होता है 


 अहिंसा अहिंसा चिल्लाना आसान नहीं होता 

 करनी पड़ती है हिंसा अहिंसा को लाने के लिए हर बार 


आओ चलो गीत गाए

 मातृभूमि का सौंदर्य बढ़ाएं।


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