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Bittu Nagwara

Drama

3  

Bittu Nagwara

Drama

वक़्त

वक़्त

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ये वक़्त क्यूं धुएं सा उड़े जा रहा है,

दिल मेरा खुद से ही लड़े जा रहा है।


बंद मुट्ठी से फिसलकर रेत पूछती है,

तू कब से मुझे हाथों में जकड़े जा रहा है।


ये घड़ी की सुई अहसास कराती है मुझे,

बीता हुआ समय कुछ कहे जा रहा है।


मंजिल की चाह में बढ़ते हुए मेरे कदम,

फिर राहों पे उस ओर क्यूं तू मुड़े जा रहा है।


सफर में मिले मुसाफिर अपने नहीं होते,

फिर क्यों तू दिल ही दिल में जुड़े जा रहा है।


ये वक़्त क्यूं धुएं सा उड़े जा रहा है,

दिल मेरा खुद से ही लड़े जा रहा है।


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