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वैष्णव चेतन "चिंगारी"

Abstract

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वैष्णव चेतन "चिंगारी"

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विश्व हिंदी दिवस ( 9 )

विश्व हिंदी दिवस ( 9 )

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हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा हैं,

जो हमें......,

जन्म के साथ सिखाई जाती हैं,

ये हिन्द की बिंदी की तरह हैं,

हिंदी हमारी भाषा हो कर भी 

वो हमारी नहीं रही ,


ये भी हमारे कश्मीर की,

तरह हो गई हैं,

जो हमारी हो कर भी,

हमारी नहीं रही,


वर्तमान में युवाओं ने,

अंग्रेजों की अंग्रेज़ी अपनाली,

मानो अंग्रेजों ने हड़प ली हैं,

जमीं हिन्द की,

आहिस्ता-आहिस्ता ही सही, पर


जड़ें जमा रही हैं अपनी गहरी,

आज हिंदी-दिवस हैं,

आज मनाएंगे हम सब मिलकर,

पूर्वजों के श्राद्ध की तरह,

आज के दिन याद किया जायेगा,

खूब लिखा जाएगा,


हर कलमकार की कलम भी,

बड़े जोरों और शोरों से लिखेगी,

हिंदी हमारी मातृभाषा हैं,

इस देश की आन-बान और शान हैं,


हिंदी कोई एक दिवस ही नहीं हैं,

जो हम-सब आज के दिन मानकर,

और कल हम-सब भूल जाएँ,

फिर रख दे हम उसे किसी तिज़ोरी में,

हमारी किसी अमानत की तरह !


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