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Nisha Nandini Bhartiya

Abstract

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Nisha Nandini Bhartiya

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विश्व गुरू बने राष्ट्र अपना

विश्व गुरू बने राष्ट्र अपना

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उत्थान नए भारत का शुरू

हम सबसे ही मिलकर होगा,

विश्व गुरू बने राष्ट्र अपना

यह ध्यान ही मन में होगा।


आजाद भगत सुखदेव की धरती

धरती अमर शहीदों की।

इसके कण कण में बसती

मूरत है भगवान की।


यह देश विवेकानंद का

रिषियों के आनंद का

कुछ हम भी बनाएँगें,

कुछ हमारे भी तन से होगा।


उत्थान नये भारत का शुरू

हम सबसे ही मिलकर होगा।

विश्व गुरु बने राष्ट्र अपना ,

यह ध्यान ही मन में होगा।


रानी झांसी ने अपने दम पर

अंग्रेजों को ललकारा था।

वीर शिवाजी ने मुगलों को

युद्ध में पछाड़ा था।


आए पटेल आए सुभाष

झुका दिया सारा आकाश।

कुछ हम भी बनाएँगें,

कुछ हमारे भी तन से होगा।


उत्थान नये भारत का शुरू

हम सबसे ही मिलकर होगा।

विश्व गुरू बने राष्ट्र अपना

यह ध्यान ही मन में होगा।


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