Anshu Kumar

Inspirational

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Anshu Kumar

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वीरकथा

वीरकथा

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वीरगती के पथ पर चलकर

भारत के आँचल से ढक कर

सरहद पर जो दे गए जान

बचा ली पर मिट्टी की शान


बलिदानों की लिए मशाल,

लेकर जीत बड़ी विकराल

मातृभूमि पर जान छिड़क कर

आये तिरंगे में वो लिपटकर


चेहरे पर दिव्य प्रकाश लिए

मन में अटूट विश्वास लिए

दुश्मन की छाती को चीर

अपने घर लौटा वो वीर


वेदनाओं की लहर बही थी,

दुःख के साये में था वतन

ख़ामोश सिसकियाँ गूँज रही थी,

भीगे अश्कों से हर नयन


माँ बोली '' मेरे वीर लाल ''

कैसा ये भेस धर आया तू

छुट्टी में आने का कर वादा

इतनी जल्दी क्यों आया तू


मेरे पिलाये उस दूध का,

तू कर्ज़ चुकाकर आया है

सीने पर खायी है गोली,

न पीठ दिखाकर आया है


भीग गईं हैं सबकी पलकें

पर मेरे आँसू क्यों छलके ?

नाम पिता का रौशन करके

आया है फ़र्ज़ तू पूरा करके


एक बेटा दिया है देश तुझे,

दूजा भी तुझको दान करूँ

जो पड़े ज़रुरत मेरी भी, तो

खुदको मैं कुर्बान करूँ


रह गई है अधूरी अपनी कहानी

पर छोड़ गए नन्ही सी निशानी

रख सके न सर पर हाथ कभी

रह सके न इसके साथ कभी


उसके बाबा की हर गाथा ,

बेटी को अपनी सुनाऊँगी

आ सके देश के काम कभी,

फौजी इसको भी बनाऊँगी


अंतिम दर्शन पाने को वहां

भर गई थीं गलियां कतारों से

और चप्पा-चप्पा गूँज रहा था

जय अमर शहीद के नारों से


दुश्मन के लिए मन में गुस्सा,

और गर्व था अपने भाई पर

अश्कों से नयन भर चल दिए,

उस वीर की अंतिम विदाई पर 


वीरों की इस मिट्टी से कभी

कोई भी जीत न पाता है

कीमत आज़ादी की सबकी

कोई और चुकाकर जाता है


है नमन महारथी वीर तुझे,

अद्भुत बलिदान तुम्हारा है

अमर रहे तेरा नाम सदा ,

ऐसा संकल्प हमारा है !



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