वीर
वीर
देश का वीर है वही
हर कदम लिया जिसने सही !
जिसने कभी ना अपना सोचा
पसीना हर हर दुसरे का पोंछ !
सही है उसने वो परिसानी
सोच कर होगा तुम्हे हैरानी ¡
जहा कहीं भी वो है जाता
हर नागरिक का सम्मान है पाता !
माँ उसकी है गर्व ये करती
उसके लाल केलिए सब कुछ है धरती !
कैसे बयान करूँ उसका फर्ज
चुकाना जिसका है हमको कर्ज !
माँ के प्यार को भूल कर
सब घर परिवार को छोड़कर !
खड़ा है वो तुम्हारे लिए
मिलेगा तुम्हे हर मोड़ पर।
सरे बंधन तोड़कर
यादों को पीछे छोड़कर
करता है वो देश की सेवा
दुश्मन का गाला मरकर !