वीर सपूत
वीर सपूत


आजादी के वीरों को शत् शत् नमन जय हिन्द
यह गीत उन्हीं के नाम करूं, शत् शत् मैं उन्हें प्रणाम करूं।
अपनी बलि देकर जो खून की नदियां बहा गये तोड़ गुलामी की जंजीरें
जो आज़ादी हमें दिला गये जिनकी मदहोश आंखों में आजादी का ख्वाब पलता था
जिनकी जुबान से इन्कलाब जिंदाबाद निकलता था
आज आजादी की वर्षगांठ पर मैं उनका गुणगान करूं।
यह गीत उन्हीं के नाम करूं, शत् शत् मैं उन्हें प्रणाम करूं।
आजादी की कीमत क्या है पूछो उन मतवालों से,
अपने सिर की बलि चढ़ा दी ऐसे भारत मां के रखवालों से।
कैसरिया रंग बलिदानों का तिरंगे की शान बढ़ाता है
वतन पर मर मिटने वालोें की कुर्बानी याद दिलाता है
ऐसे वीर सपूतों पर मैं बारंबार अभिमान करूं।
यह गीत उन्हीं के नाम करूं, शत् शत् मैं उन्हें प्रणाम करूं।