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Vishu Tiwari

Abstract Classics

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Vishu Tiwari

Abstract Classics

वात्सल्य रस: कृष्ण

वात्सल्य रस: कृष्ण

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हरि ने बालक्रीड़ा से सभी मन को रिझाए  हैं।

तुनककर नाचकर कान्हा हृदय सबके लुभाए हैं। 

कभी  गैया  बुलाते हैं कभी माता यशोदा को।

कान्हैया अपने माखन को बदन अपने लगाए हैं।।


कमर करधन अधर मुरली मनोहर श्याम छवि प्यारी।

अधर मुस्कान मनमोहक निहारत  रूप मनोहारी।

कनक कुण्डल तिलक माथे गले में माला है शोभित।

गोपियां खोईं हैं सुध बुध यशोदा जाएं बलिहारी ।।


कभी गाए कभी  नाचे कभी गईया  बुलावत है।

कभी गायों को दे माखन कभी अंग अंग लगावत है।

गिरावत छांछ भरि मटकी बजावैं तारी दे तारी।

निरखि लीला खड़ी यशोदा हृदय आनन्द पावत हैं।।


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