STORYMIRROR

Ranjana Singh

Abstract

4  

Ranjana Singh

Abstract

वासंती हवा के झोंको से

वासंती हवा के झोंको से

1 min
340

वासंती हवा के झोंकों से,

मद्धिम-सी खुशबू आई है।

मोर,पपीहा कोयल ने भी,

सुर,लय, ताल मिलायी है।


खेतों में सरसों झूम-झूम,

यौवन पर देखो इठलाई है।

पड़ गए मंजर आमों के,

बागों में खुशबू छाई है।


ज्ञान की झोली संग लेकर,

माँ भारती दर पर आई है।

फगुनाहट फैली हवा में,

जीर्णो में आई तरुणाई है।


दहका पलाश मादकता में,

प्रकृति भी देखो हुलसाई है।

दुल्हन-सी सजी है धरती,

प्रेम ऋतु फिर से आयी है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract