प्रेम
प्रेम
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वासंती बयार की मादकता में हसीन ख़्वाब बुन लेना,
मगर कभी पतझड़ में भी तुम' हाल-ए-दिल सुन लेना।
प्रेम:---
प्रेम हृदय की भाषा है
न कर इसका व्यापार
मिलता है सच्चा सुख
प्रेम जीवन का आधार
ईर्ष्या, द्वेष, क्रोध, घृणा
प्रेम से ही सबकी हार
भावों में जब प्रेम बसे
जीवन लगे है त्योहार
प्रेम हृदय पावन करे
लगे विश्व भी परिवार
यह करे त्याग की बात
कष्ट भी इसे स्वीकार
प्रेम बयार है वासंती
प्रेम है ईश्वर का उपहार।
