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अभिषेक कुमार साह

Abstract

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अभिषेक कुमार साह

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उनकी याद

उनकी याद

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आज ये कैसा दिन आया,

जिसने अपनो से ही दूर कर दिया।

जिसके बिना रह न पाते थे एक भी पल,

आज उन्ही के बिना बिता रहे हैं इतने कदम। 


रास्ते हो गए वीरान, घरो में आ गई बहार,

 पर कुछ लोगों की यादे अब भी सताऐ बार - बार।


क्या करे इस मन का जो अपने जो अपने बस मे ना आए,

बार - बार उनसे मिलने की बहाने बनाए।



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