उम्मीद
उम्मीद
अकेले रह कर भी खोए हुए रहते हैं।
इन रात के अंधेरों में,
अब भी चांद सोया नहीं करते हैं।
इन तारों के जाहां में एक घर हो अपना।
तुम हमारे साथ हो फिर चाहे कोई ना हो अपना।
जब लंबी बातों में,
अपने कांधे का सहारा दिया करते थे,
जाने कहां खो गई वो नींद,
जो रातों में सपने देखा करते थे।

