उलझन
उलझन
जब चलने का सोचा तो डर गया
कही ये कदम गलत ना हो जाए
यही सोच मैं थम गया ।
क्या मैं कामयाब हो भी पाऊंगा?
क्या मैं जीत जाऊंगा?
क्या मैं कुछ कर भी पाऊंगा?
जो चाहता हूं वो बन भी पाऊंगा?
यही सोच मैं थम गया
खून रगो का जम गया
फैसला लेने की घड़ी देख
मेरा दम गया।
