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Jugal Kishore Sharma

Inspirational Others

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Jugal Kishore Sharma

Inspirational Others

उजाले से मुसाफिर

उजाले से मुसाफिर

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ज़माने से मंजिलों के साये,

पर आगाज देता हूँ,

उजाले से मुसाफिर हूँ

मुहाने परवाज लेता हूँ।


जम कर रास्ते में,

कभी कभी हट तो जाना,

बेदर्दी का खौफ रख,

अन्जाने शहर में आना।


नीना, नरगिश, ऐला, फेला,

लीलाओं के मायनें भी,

सजना, विखरना, समेटना,

अचरज जायदादें भी।


जुबाने जहर भरभर के कोसते है,

मेरा भी कहना प्यासे है, का खोजते है।


जिन्दगी की नुमाइश का,

दर्द भी भला क्यों है,

दर्द का असर मुझे तो है,

तुझे भला क्यों है।


हर रोज भला मुझे घुर्राता,

वाह क्या बला है,

आगाजों की बात ही निराली,

क्या संभाला है।


अंदाज भी उनके निराले,

तराने के तकल्लुफ भी,

आजमाइशें भी अजी कहती,

शोक के तवारूक भी।


दोस्तों दोस्ती भी कभी अजीब है,

मिले तो जिन्दगी,

ना मिले तो नसीब है।


अर्ज किया तो सुन ले,

जरा खामोशी, परेशा,

फकीरी, मंलग,

मस्त अंदाज, हरदेश हमेशा।


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