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Ajay Pandey

Abstract

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Ajay Pandey

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उचित न्याय सबका अधिकार

उचित न्याय सबका अधिकार

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अत्याचार जब भी बढ़ता है

अन्याय जब सिर पर चढ़ता है

नैतिकता के उचित पंथ की

तब न्याय ही रक्षण करता है।


जब बेमानी बढ़ जाती है

जब मानवता घट जाती है

शोषण जब बढ़ जाता है

कानून सहारा होता है।


न्यायालय के चौखट पर 

वकील का आश्रय मिलता है

उसकी उचित दलीलों से

न्याय सुनिश्चित होता है।


विवाद कहीं बढ़ जाता है

सुलह सभी रुक जाता है

जब और हल नहीं मिलता है

तब द्वार कोर्ट का दिखता है।


तब कोर्ट फैसला करता है

अधिकार सुरक्षित करता है

झूठ व सच के कुरुक्षेत्र में

सत पक्ष सुरक्षित करता है।


जब कानून फैसला करता है

निष्पक्ष भाव वो रखता है

न्यायालय के प्रांगण में

तब न्याय बराबर मिलता है।


लोकतंत्र  के  स्तंभों  में

इसकी अहम भूमिका है

कानून व्यवस्था निर्भर इसपर

ये लोकतांत्रिक व्यवस्था है।


न्याय सही हो, पुण्य मार्ग हो

सुदृढ व्यवस्था समभाव हो

न्यायालय की  चौखट पर

शीघ्र, प्रभावी, उचित न्याय हो।


न्याय सभी के लिए जरूरी

लोकतंत्र की आशा पूरी

ये सभी की आवश्यकता है

जरूरी विधिक साक्षरता है।।


 


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