तू
तू


जाने ये क्या एहसास है
बनते बिड़गते से मेरे जज़्बात है
है खबर की तू ज़िन्दगी के सफर
का साथ नहीं है
फिर भी
तुझसे बेहतर मुझे कोई आता
नज़र नहीं है
तेरे सिवा किसी की बातें भाती नहीं है
तुझ बिन सूना सा है
ज़िन्दगी का ये आंगन
तू मेरा नहीं दिल इस पर
यकीन करता नहीं है।
आसमां से माँगू दुआओं में
तुझको
अब मन इस ज़िद पे अड़ने लगा है।