तुम
तुम
कुछ भी तो नहीं हो तुम
मेरे लिए
न मेरा कोई ख़्वाब
न मेरी तलाश
न ही कोई दिली ख़्वाहिश
फिर भी न जाने क्यों
तुमसे अलग, तुम्हारे बिना
ज़िन्दगी कुछ ठीक सी नहीं लगती
कुछ जँचती नहीं
तुम्हारे बिना आने वाले
कल को सोचूँ तो
कुछ ख़ालीपन
कुछ गूँज
कुछ खटक सी
कुछ बेचैनी सी
महसूस होती है
काश !
कभी समझ पाती
ये सब क्या है?