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VIVEK ROUSHAN

Abstract

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VIVEK ROUSHAN

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तुम्हारे अन्दर जिन्दा होगा

तुम्हारे अन्दर जिन्दा होगा

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छोड़ गए जो लोग उन्हें याद करने से क्या फायदा होगा 

जिन्दा तो रहोगे पर जिन्दगी  में गम  जियादा होगा।


कातिल होकर भी जो ज़माने की नज़रों में अच्छा लगे 

समझ लेना उसके चेहरे पर शराफत का लिबादा होगा। 


दाने  देकर  जो  परिंदो  को  अपने  पास बुलाते हैं 

इसमें दाने देने वाले का कुछ न कुछ तो इस्तिफ़ादा होगा।


जो लोग एक क़तरा  को भी दरिया  समझ बैठते हैं 

उन  सबों  के  अन्दर कुछ  प्यास भी जियादा होगा।


उस शख्स को टूट कर चाहना फिर खुद टूट जाना 

इसका मतलब  वो  शख्स तुम्हारे अन्दर जिन्दा होगा।


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