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ठाकुर भवानी प्रताप सिंह

Drama Romance

1.0  

ठाकुर भवानी प्रताप सिंह

Drama Romance

तुम साथ नहीं होती हो

तुम साथ नहीं होती हो

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यार तुमसे बात करने का मन होता है

लेकिन तुम मेरे साथ नहीं होती हो...


जब याद तुम्हारी आती है,

आकर मुझे सताती है

जब मेरी धड़कन और सासें,

तेरी कमी बताती है

तब शाम सुबह,

हर एक घड़ी,

तुम्हें सोचता रहता हूँ

अपने हर एक पल में,

मैं तुम्हें खोजता रहता हूँ


पता है,

हर रात तुमसे

बात करना चाहता हूँ

अपने ख्वाबों में तुमसे

मुलाकात करना चाहता हूँ

पता है तुम्हारे साथ मैं

कुछ पल हँसना चाहता हूँ

जब तन्हा रहता हूँ

तब तुम्हारे साथ रहना चाहता हूँ


तुमसे तुम्हारे बारे में

कुछ जानना चाहता हूँ

राहों पर मैं तुम्हारा हाथ थामना चाहता हूँ

देखता तो हूँ पलटकर

अपनी दोनों ओर

देखता तो हूँ पलटकर

अपनी दोनों ओर

लेकिन उस वक्त भी

तुम साथ नहीं होती हो




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