तुम क्या ......
तुम क्या ......
तुम क्या समझोगे दर्द हमारा
तुम्हें तो खुश रहने की आदत है,
तुम क्या समझोगे हमारी तनहाइयां
तुम्हें तो महफ़िलों में रहने की आदत है,
तुम क्या समझोगे फूलो के टूटने की कहानी,
तुम्हें तो भंवरों की तरह उड़ने की आदत है,
तुम क्या समझोगे बाती की जलन की कहानी,
तुम तो चुप चाप दीये की तरह देखते रहोगे,
तुम क्या समझोगे राधा का दर्द ओ कान्हा,
तुम्हें तो गोपियों संग रास रचाने की आदत है ।