Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Kawaljeet Gill

Abstract Inspirational

4.0  

Kawaljeet Gill

Abstract Inspirational

तुम क्या ......

तुम क्या ......

1 min
351


तुम क्या समझोगे दर्द हमारा

तुम्हें तो खुश रहने की आदत है,

तुम क्या समझोगे हमारी तनहाइयां

तुम्हें तो महफ़िलों में रहने की आदत है,

तुम क्या समझोगे फूलो के टूटने की कहानी,

तुम्हें तो भंवरों की तरह उड़ने की आदत है,

तुम क्या समझोगे बाती की जलन की कहानी,

तुम तो चुप चाप दीये की तरह देखते रहोगे,

तुम क्या समझोगे राधा का दर्द ओ कान्हा,

तुम्हें तो गोपियों संग रास रचाने की आदत है ।


Rate this content
Log in