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Shubham Patidar

Romance

2  

Shubham Patidar

Romance

|| तुम कौन हो ||

|| तुम कौन हो ||

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248

तेरे हुक्म पे ,

कभी प्यार तो कभी ऐतराज़ आता है

आख़िर तुम कौन हो मेरे ,

बस यही सवाल हमेशा मेरे दिल में आता है

कि तुम कौन हो।


तुम कौन हो इसका अंदाजा नहीं है तुम्हें अब तक ,

तुम कौन हो ,तुम कौन हो, तुम कौन हो।

तुम कौन हो।


किसी का सपना तो किसी की चाहत हो ,

किसी का ख्वाब तो किसी के दिल की आहट हो ,

तुम कौन हो।


किसी का दीपक तो किसी की बाती हो ,

किसी की दोस्त तो किसी की साथी हो ,

तुम कौन हो।


किसी की खुशी तो किसी का दुख हो ,

किसी की मुस्कान तो किसी का सुख हो ,

तुम कौन हो।


किसी का गीत तो किसी की आवाज हो ,

किसी का दर्द तो किसी का जज्बात हो ,

तुम कौन हो।


किसी के लिए चीख़ें तो किसी के लिए मौन हो ,

किसी के लिए सीमा रेखा तो किसी के लिए ब्लू जोन हो ,

तुम कौन हो।


किसी के लिए कल्पना तो किसी के लिए हकीकत हो ,

किसी के लिए जहर तो किसी के लिए अमृत हो ,

तुम कौन हो।


किसी के लिए नदी तो किसी के लिए समंदर हो

किसी के लिए साहिल तो किसी के लिए मंजर हो,

तुम कोन हो।


किसी का ख्वाब तो किसी की तलाश हो ,

किसी के लिए गैर तो किसी के लिए खास हो,

तुम कौन हो !


किसी का आने वाला कल तो किसी की बीती हुई बात हो ,

किसी से बहुत दूर तो किसी के दिल के बहुत पास हो ,

तुम कौन हो !


किसी के लिए कलम तो किसी के लिए धड़कती स्याही हो ,

किसी के लिए जीवनसाथी तो किसी के लिए पल भर के राही हो,

तुम कौन हो !


किसी के लिए ज़मीं तो किसी के लिए आसमान हो ,

किसी का लिए एक मामूली तारा तो किसी के लिए पूरा ब्रह्मांड हो , तुम कौन हो !


किसी के लिए तुम सिर्फ एक कहानी

तो किसी के लिए पूरी किताब हो ,

किसी के लिए तुम सिर्फ़ एक बेटी ,

तो किसी के लिए ख़ुदा का दिया नायाब खिताब हो ,

तुम कौन हो !



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