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Subodh kumar Verma

Drama

3  

Subodh kumar Verma

Drama

तुम हो ना,

तुम हो ना,

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तुम हो ना अब वहाँ

जहाँ कभी हम थे,

तुझमें ठहरा, तुझमें रुका

जहाँ कभी हम तुम थे,


देखा है, तुम्हारे शहर को

इश्क़ का घर हैं।

बेवक़्त आज भी हो, तुम

मेरे इश्क़ के घर में


ख़्याल हैं, अब हमारा

सोचों तुम्हें हर बार में,

तुम ख़्वाब हो, मैं ओ रात हूँ,

बस एक ख़्याल है,


तुम्हारे इश्क़ का मैं,

एक आवाज़ हूँ।

तुम हो ना, अब वहाँ

जहाँ कभी हम थे,


भीगी तुम्हारी पलकों का

मैं दो शब्द हूँ,

मैं तुम्हारा इश्क़ नही,

तुम्हारी धड़कन की धुन हूँ,


तुम हो ना, अब वहाँ

जहाँ कभी हम थे।


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