तुझसे झगड़ कर
तुझसे झगड़ कर
तुझसे झगड़ कर बस कुछ पल का ही सुकून था,
फिर तो मेरे पास सारी रात बस तेरा ही जूनून था
रात भर जागता रहा, रोता रहा,
और बस तेरे ख्यालों में खोता रहा
सोचता रहा कि ये क्या हो गया मुझसे
बोल दिया ऐसा जो खफ़ा होकर तुझसे
दिल किया कि मिटा दूँ मैं ये गुज़री हुई शाम
और फिर कल ले मुस्कुराते हुए तू मेरा नाम
बोला ऐ खुदा मिटा दे उसके मन से वो याद
तू सुन ले मेरी ये फ़रियाद
दिल में आया वापस ले लूँ तुझसे कही हुई बातें
आखिर कभी तक जी पाऊंगा मैं ऐसी रातें
जिस्म का ज़र्रा ज़र्रा कह रहा था ये जज़्बात
आ लगा जा गले और कह दे अपने दिल की ये बात
मगर ये मेरे हाथ में न था
क्यूंकि तू, मेरे यार, मेरे साथ में न था