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Gourav Pradhan

Romance

3  

Gourav Pradhan

Romance

टूटा हुआ आशिक

टूटा हुआ आशिक

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कितनी हसीन थी वह रातें

कितनी हसीन थी वह मुलाकातें

आजा ना लौट के

करते हैं वहीं बातें।


दिन मैं संभालता फिरता हूं मैं

खुद से टूट चुका हूं मैं

अब ज़िन्दगी भी कह गई

क्यों रुका हूं मैं।


तेरी यादें रुलाया करती है

क्यों रोता हूं मैं

हर रोज यह

चांद पूछा करती है।


आज कल के आशिक़ मेरे इश्क

को बेवफा कहते हैं

ज़रा पूछो उन्हें

कपड़े उतारने को प्यार कहते हैं।


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