तसवीर
तसवीर
हमारा चैन से बैठना,
शायद इस दुनिया को पसंद नहीं
ये आँखे भी शामील है रात की कपट में
सुका रहना इन्हे भी पसंद नही
हम भी शामील होना चाहते है झुठी मैफिल में,
बस्स एक बार खुले आँखो से झुठा सच देखना है
उन्होने दो लफ्ज क्या जोडे प्यार के,
हमने कहावत बना दी
पागल थे हम जो नफरत भरी दुनिया में,
प्यार की इबादत की
युही खुद में झांकना अब छोड दिया है
खुद की तुटी तसवीर देखने में डर लगता है
खुद से ही बिखरे है
ढुंढने का भी मन नहीं
खुद को बदलने के जिद में
पहचान भी भूल दी।
