अंजान
अंजान
शायद वो रास्ता मेरे लिए भी अंजान है..
खुद का किया हुआ अंजान या वो खुद अंजान
इसी बात से भी तो अंजान हूँ...
जब से जिंदगी के हकिकत से रुबरू हुए है,
गुफ्तगू करने से भी मुकर गये है..
सच से तो पहेले से वाकीब थे,
पर झूठी खुशी के तमन्ना में खो गये
सबूत है मेरे हृदय में ये नफरत के धब्बे
अब यहा पे प्यार ने खुदकुशी की है..
देखी है तारीफों के पेड के नीचे,
मतलब की छाया पड़ते हुए..
इसलिए तो हम अंजान रास्ते पर ही ठीक है।
