STORYMIRROR

Meghana Suryawanshi

Others

4  

Meghana Suryawanshi

Others

मैं वो कागज हूँ..

मैं वो कागज हूँ..

1 min
198

      बस्स चलता ही रहा इसी जेब से उसी जेब तक

      टिकट काटता गया इंसानियत का मेरी हथेली तक 

      माल, पैसा, रोकडा न जाने कितने नाम हैं मेरे 

      किसी के लिए बारिश,तो किसी के लिए चाहत 

      आज भी दिखती है हर कदम पर मुझे पाने की आहट

   

     मैं वो कागज हूँ, जिसने कुडा देखा ही नही 

    आज़ाद परींदा हूँ, पर जेल से कम भाग्य नही 

     किसी के कटोरे में दो वक्त की रोटी हूँ 

     किसी के अय्याशी में सावन की बरसात हूँ

     शरीर पे कुछ अंकों से मुल्यवान में हो गया 

     आजतक मेरे सिवा किसी ने किसी को गले नही लगाया.. 


     किसको कितना नसीब होना ये मेरे तो हाथ में नहीं 

     होता तो खुद्द को में कभी कीमती पाता ही नही 

     नायक हूँ या खलनायक पता ही नही चलता 

     पर मेरे सिवा बदलते रिश्तों को तू समझ कैसे पाता?

    

     मैं वो कागज हूँ... 

    जो सब कुछ दे सकता है, पर सुकून नही.. 

    घमंड ना कर दोस्त, आज तेरे हाथ में

    तो कल किसी और के हाथ में रहूंगा, 

    आशा करता हूँ कुछ कागज के टुकडों के लिए

    तू मुस्कुराना नही भुलेगा.. ।

   

    

    

    

    

      


Rate this content
Log in