तनहा मन!
तनहा मन!
वो एक तन्हा इस गगन में,
तुझ जैसा और कौन?
हरियाली है चारो तरफ़ पर,
तुझसे सुना और कौन?
तनहा मन तू है कितना,
तुझसे ना कोई चाहत।
एक पल तूँ जी भर जी ले,
चाहे फिर कर आँखे नम।
वो एक तन्हा इस गगन में,
तुझ जैसा और कौन?
हरियाली है चारो तरफ़ पर,
तुझसे सुना और कौन?
तनहा मन तू है कितना,
तुझसे ना कोई चाहत।
एक पल तूँ जी भर जी ले,
चाहे फिर कर आँखे नम।