तलाश
तलाश
अहसास समाए, तमन्ना जगाये
अरमान था एक, नया जहाँ बसाए।
उम्मीद दिल में, खुशियाँ हासिल हमें
देखा कामयाबों में, हम भी शामिल थे।
चैन से सोए, पलकें झुकाई
भीड़ दूर थी, पास थी तन्हाई।
इंतज़ार था अँधेरा गुम हो, रोशनी फैले
समंदर की लहरों पर, हम भी चले।
मिलना था हमें, उस नए सवेरे से
हर फूल पर भटकते, उस एक भँवरे से।
रुकना था हमें, मंज़िल थी मिली
थक गए थे हम, जीवन बंजारे के से।
हर राह उज्जवल हुई, हमने भी आँख खोली
चेहरे पर मुसकान लिए, सूरज से मिलने चली।
सब थे पराए, नहीं कोई अपना
सब था पहचाना, फिर भी अनजाना।
शायद यह नहीं है मंज़िल अपनी
हमें है अभी और चलना।
तलाश अभी खत्म हुई नहीं हमारी
कि हमें हैं अभी और भटकना।
गुमाँ हुआ ....
यह हार नहीं थी, यह जीत नहीं थी
यह नफरत नहीं थी, यह प्रीत नहीं थी।
यह थी एक चाहत, कुछ और आगे बढ़ने की
कि हर सुबह लाती है कशिश, कुछ और नया तलाशने की।।
