तकदीर !
तकदीर !
आज अपने भी अनदेखा करते हैं,
कुछ अच्छा करके भी सवाल करते है।
फासला बस इतना है जनाब
उनके पास पिता का साया है,
और मेरे पास मेरे तकदीर का...!
पर सब्र रख ये जिंदगी के मुसाफिर,
रोशनी के साथ साया भी मुंह मोड़ लेगा।
किसी गैर के आने के बाद रिस्ता भी तोड़ देगा
तब जाके काम आएगा अनदेखा किया हुआ,
सिक्का वही तकदीर का...!
