STORYMIRROR

अशोक वाजपेयी

Inspirational

3  

अशोक वाजपेयी

Inspirational

थोड़ा-सा

थोड़ा-सा

1 min
323


अगर बच सका

तो वही बचेगा

हम सब में थोड़ा-सा आदमी


जो रौब के सामने नहीं गिड़गिड़ाता,

अपने बच्चे के नंबर बढ़वाने नहीं जाता मास्टर के घर,


जो रास्ते पर पड़े घायल को सब काम छोड़कर

सबसे पहले अस्पताल पहुंचाने का जतन करता है,

जो अपने सामने हुई वारदात की गवाही देने से नहीं हिचकिचाता


वही थोड़ा-सा आदमी

जो धोखा खाता है पर प्रेम करने से नहीं चूकता,


जो अपनी बेटी के अच्छे फ्राक के लिए

दूसरे बच्चों को थिगड़े पहनने पर मजबूर नहीं करता,


जो दूध में पानी मिलाने से हिचकता है,

जो अपनी चुपड़ी खाते हुए दूसरे की सूखी के बारे में सोचता है,


वही थोड़ा-सा आदमी

जो बूढ़ों के पास बैठने से नहीं ऊबता

जो अपने घर को चीजों का गोदाम होने से बचाता है,


जो दुख को अर्जी में बदलने की मजबूरी पर दुखी होता है

और दुनिया को नरक बना देने के लिए दूसरों को ही नहीं कोसता


वही थोड़ा-सा आदमी–

जिसे ख़बर है कि

वृक्ष अपनी पत्तियों से गाता है अहरह एक हरा गान,

आकाश लिखता है नक्षत्रों की झिलमिल में एक दीप्त वाक्य,

पक्षी आंगन में बिखेर जाते हैं एक अज्ञात व्याकरण


वही थोड़ा-सा आदमी

अगर बच सका तो

वही बचेगा।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational