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पथहारा वक्तव्य

पथहारा वक्तव्य

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हमें पता था

कि खाली हाथ

और टूटे हथियार लिए

शिविर में लौटना होगा,


यह भी कि हम जैसे लोग

कभी जीत नहीं पाए

वे या तो हारते हैं

या खेत रहते हैं।


हम सिर्फ बचे हुए हैं

इस शर्म से कि

हमने चुप्पी नहीं साधी,


कि हमने मोर्चा सम्हालने से पहले

या हारने के बाद

न तो समर्पण किया,

न समझौता।


हम लड़े,

हारे और बचे भर हैं !

यह कोई वीरगाथा नहीं है

इतिहास विजय की कथाएँ कहता है,

उसमें प्रतिरोध और पराजय के लिए

जगह नहीं होती।


लोग हमारी मूढ़ता पर हँसते हैं

हमेशा की तरह

वे विजेताओं के जुलूस में

उत्साह से शामिल हैं।


हम भी इस भ्रम से

मुक्त होने की कोशिश में हैं

कि हमने अलग से कोई

साहस दिखाया।


हम तो कविता और

अंत:करण के पाले में रहे

जो आदिकाल से युद्धरत हैं, रहेंगे !


हम पथहारे हैं

पर पथ हमसे कहीं आगे जाता है।।


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