तेज़
तेज़
सूरज सा परोपकारी कोई नहीं,
हर एक जीव पर उसकी किरण एक समान पड़ती है।
ये अलग बात है की मनुष्यों को ये कहते सुना जा सकता है,
कि "सूरज में बड़ी गर्मी है।"
सूरज अकेले ही काफी है,
तारों के साथ का वो मोहताज़ नहीं।
इस कदर तेज़ है उसकी किरणों में,
उस पर नज़र उठा कर देखना तक छोटी बात नहीं।
आने दो रात, हर रोज़...
सुबह होगी, वो फिर चमकेगा।
ये उसकी नियत की ही रहमत है,
उसके पीछे किसी दिए का साथ नहीं।
वो खुद जलता है,
या लोग उससे जलते हैं...
इस भ्रम को सुलझाने की,
आज भी किसी में औकात नहीं।
तू चमक, तू लुटा अपनी आभा..
करता रह अपना काम।
तुझको मिटा सके एक चिंगारी,
इतनी बुरी तेरी कभी हालात नहीं।
तेरे कद तक पहुँचने वाला,
सदा ही झुलसता रहा है।
तेरी ऊँचाई तू खुद गढ़ा है..
इसमें किसी साजिश की बात नहीं।
