तेरी कहानी
तेरी कहानी
ऐ औरत तेरी कहानी भी कितनी निराली है,
दिन भर तू पल पल करती हर किसी के काम आती,
कब तक तू औरो की खातिर अपनी खुशियाँ कुर्बान करेगी,
कुछ कर ले अपने लिए भी कुछ पल जी ले अपनी खुशी के लिए भी,
बेटी बहन बनकर भी तू हर पल काम करे बीवी माँ बनकर तू हर पल जीती,
कुछ पल तो जी ले अपनी खुशी के लिए कद्र कर ले कुछ अपने सपनो की भी,
इज़्ज़त तुझको तब ही मिलेगी होगी जब तेरी कोई पहचान अपनी,
किसी की बेटी किसी की बहन बनकर बहुत जी लिया
किसी की बीवी किसी की बहू किसी की माँ बनकर कब तक रहोगी,
अपनी पहचान भी होना उतना ही जरूरी,
कब तक अपने खवबो को अरमानो का गला घोंटो
गी
क्या जवाब दोगी जब तुम से तेरी कोई पहचान मांगेगा,
ईश्वर ने सबको भेजा अपने अपने कर्म करने को ,
कब तक औरो की सेवा कर अपने कर्म सुधारोगी,
कर्मो का फल सेवा से मिल भी गया तो भी संतुष्टि नही मिलेगी,
तेरी खुद की अंतरात्मा तुझ को ही कोसेगी,
कुछ तो ऐसा कर ले की तेरी खुद की अपनी एक पहचान हो,
नाज़ किसी और को हो ना हो तुझको खुद पर नाज़ हो,
जो खुशी फिर तुझको मिलेगी अपनी सफलता से वो अनोखी होगी,
उठ चल जाग और अपने लिए जीने की ठान ले
अपने कदम बढ़ा ले अपनी मंजिलो को पाने के लिए,
जीत होगी तेरी हर हाल में एक बार तू अपने कदम तो घर से बाहर निकाल ।