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Rita Jha

Abstract Children Stories Classics

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Rita Jha

Abstract Children Stories Classics

तेरा मुझसे है नाता कोई

तेरा मुझसे है नाता कोई

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मेरा तुझसे है पहले का नाता कोई,

वरना यूं बार - बार नहीं लुभाता कोई !


उस दिन तो मैं समयाभाव में गई थी,

शाम को टहलने उस छोटे से पार्क में !


टहलना भूल गई जैसे ही देखी तेरी अदा,

खेलने लगी तेरे संग बन कर छोटा सा बच्चा !


तू भी तो कितना खुश लग रहा था मेरे संग,

घर जाने का नाम नहीं ले रहा था अपनी धाय संग !


अगले दिन तो ‌मैं सिर्फ तेरे कारण ही गई,

टहलने को फिर से उसी वाले पार्क में !


तू भी आया था वहां अपनी ट्राली में,

ज़ोरदार किलकारी मारी मुझे देखते ही तूने !


गोद में तुझे लेकर कितना सुकून मिला था;

यूं लगा कि तू मेरे लिए ही शायद बना था !


अब तो रोज रोज का यह सिलसिला बन गया,

अगर एक भी दिन तुझे ना देखूं तो लगता बहुत बुरा !


धीरे धीरे हो रहा है तू थोड़ा सा बड़ा,

और अब तो तू मेरे इंतजार में रहता है खड़ा ! !


तेरा मेरा प्यार भरा सिलसिला यूं ही चलता रहे,

ये नाता हमेशा के लिए पहचान पाता रहे ! !


तू बड़ा होकर जग में खूब नाम करना,

ये है तेरे लिए मेरी प्यारी सी इक दुआ !


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