STORYMIRROR

गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Abstract

4  

गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Abstract

ताटक छंद...

ताटक छंद...

1 min
182


कुल मात्रा 30,16/14यति, पदांत 222

विधा-गीत,सृजन-नया सवेरा आएगा

धीरज धरना सीखो प्यारे,

         वक्त तुम्हें गुर्राएगा ।

संबल देना मन को अपने,

        नया सवेरा आएगा ।।


सुख-दुख का यह चाक चलेगा,

        दुख के घन घिर आएंगे ।

मरुत प्रभंजन प्रबल प्रतापी,

        नित-नित तुम्हें डराएंगे ।

जो कसकर कटि खड़ा रहेगा,

        वह समर जीत जाएगा ।

संबल देना मन को अपने,

        नया सवेरा आएगा ।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract