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Bhavna Bhatt

Abstract

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Bhavna Bhatt

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स्वयं की पहचान

स्वयं की पहचान

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अंतर मन में झांका क्या हूँ मैं

स्वयं की पहचान हुई आज ।


झूठ और फरेब से नफ़रत है मुझे,

कड़वा और सच बोलना आता है मुझे ।


चापलूसी, जी हुजूरी नहीं आती मुझे,

जो जैसा दिखता है मुंह पे बोलती हूं मैं ।

भावुक होकर ठोकर खाई बहुत है

फिर भी फर्ज निभाने से पीछे मुड़ी नहीं मैं ।


आता नहीं मीठे-मीठे बोल बोलना मुझे,

में जैसी हूँ वैसी ही रहना है मुझे ।


मनोमंथन करके खुद को पहचाना मैंने,

स्वयं की पहचान से खुद को जाना मैंने ।



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