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Kavita Sharrma

Inspirational

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Kavita Sharrma

Inspirational

स्वीकार भाव

स्वीकार भाव

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मिला जो भी है उसे कबूल कीजिए

मीन मेख फ़िज़ूल में न निकालिए।


कमियां दूसरों में ढूंढनी हैं आसान बहुत

कभी अपनी कमियां भी तो गिनाइए।


एक उंगली गर उठी है किसी और की तरफ़

तीन इशारा कर देती हैं खुद की भी तरफ़।


जो जैसा है उसे वैसा ही स्वीकारें मन से

यही उसूल है सिखाया हमें कुदरत ने।


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