Harsha Godbole

Inspirational

4.8  

Harsha Godbole

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स्त्री

स्त्री

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तुम पहले जैसी नहीं हो कमजोर ,

न हो तुम पहले जैसी अनपढ़ ।

तुम तो हो आधार परिवार का,

तुम हो नयें रूप में साहसी स्त्री ।


तुमने संभाली घर की कमान,

बाहर काम कर बनी आत्मनिर्भर ।

दोनों छोरों को तुमने संभाला, 

जैसे हो तुम में दस हाथों का बल।


तुम में इतनी है क्षमता 

कलम से लेकर जहाज़ चलाने की ।

बुद्धिबल तुम में है भरपुर, 

तुम हो स्त्री रूप में कोई वीर शूर ।


नहीं करूंगी कोई अपमान सहन अब,

दहेज़ के लालचियों को सिखाती सबक।

गलत इरादों को मन में न करने देना वास,

मैं अपने इन हाथों से करती सबका नाश।


हर क्षेत्र में मैंने पाँव पसारे, 

अंतरिक्ष में जाकर तोड़े तारें ।

जमीन पर रह कर देश की रक्षा की ठानी, 

नहीं करने दूंगी दुश्मन को अपनी मनमानी ।


पढ़ा ही होगा इतिहास हमारा, 

वीर रस से हर पन्ना है भरा।

वर्तमान में भी कुछ कम नहीं, 

ऐसी है आज की सुन्दर स्त्री ।



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