STORYMIRROR

वर्ज़िन

वर्ज़िन

1 min
28.2K


वर्जिन

मैं वर्जिन हूँ
विवाह के
इतने वर्षों के पश्चात् भी
मैं वर्जिन हूँ
संतानों की
उत्पत्ति के बाद भी।
वो जो
तथाकथित प्रेम था
वो तो मिलन था
भौतिक गुणों का
और यह जो विवाह है
यह मिलन है
दो शरीरों का
मैं आज भी
वर्जिन हूँ
अनछुई
स्पर्शरहित।
मैं मात्र भौतिक गुण नहीं
मैं मात्र शरीर भी नहीं
मैं वो हूँ
जो पिता के
आदर्शों के वस्त्र में
छिपी रही
मैं वो हूँ
जो माँ के
ख्वाबों के पंख लगाये
उड़ती रही
मैं वो हूँ
जो पति की
जरूरतों में उलझी रही
मैं वो भी हूँ
जो बच्चों की
खुशियों के पीछे
दौड़ती रही।
मैं अब
वर्जिन नहीं रहना चाहती
मैं छूना चाहती हूँ
खुद को।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational