STORYMIRROR

वर्जिन

वर्जिन

1 min
14K


मैं वर्जिन हूँ

विवाह के इतने वर्षों के पश्चात् भी

मैं वर्जिन हूँ

संतानों की उत्पत्ति के बाद भी।

वो जो तथाकथित प्रेम था

वो तो मिलन था भौतिक गुणों का

और यह जो विवाह है

यह मिलन था दो शरीरों का

मैं आज भी वर्जिन हूँ

अनछुई, स्पर्शरहित।

मैं मात्र भौतिक गुण नहीं

मैं मात्र शरीर भी नहीं

मैं वो हूँ

जो पिता के आदर्शों के वस्त्र में छिपी रही

मैं वो हूँ

जो माँ के ख्वाबों के पंख लगाऐ उड़ती रही

मैं वो हूँ

जो पति की ज़रूरतों में उलझी रही

मैं वो भी हूँ

जो बच्चों की ख़ुशियों के पीछे दौड़ती रही।

मैं अब वर्जिन नहीं रहना चाहती

मैं छूना चाहती हूँ ख़ुद को।


Rate this content
Log in