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Surendra Raghuwanshi

Inspirational

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Surendra Raghuwanshi

Inspirational

माँ

माँ

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मनुष्यता की उर्वरा धरती पर
तुम करुणा और वात्सल्य के
दो पय पर्वत हो माँ!

पानी से भरे हुए बादलों को
पृथ्वी पर बरसाने के लिए
तुम उनमें ज़रूरी हो गए अनगिनित छिद्र हो

दुःख सुख और प्रेम में
सबसे पहले बरसने वाली
पृथ्वीनुमा गोल दो बोलती आँखें हो

संघर्षों के सूरज के झुलसाते ताप से
जीवन की धरा को बचाने वाली
सूरज और पृथ्वी के बीच तनी हुई
सफेद इच्छाओं वाली
काली सघन और मजबूत विस्तार में फैली हुई
अनन्त केश राशि हो तुम माँ!


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