सताती बहुत है सर्दियां
सताती बहुत है सर्दियां
बेहद सताती है ये सर्दियां ;
प्रिय के आलिंगन को उकसाती हैं ये सर्दियां !
मिट्टी के बोरसी की गर्माहट बेहद भाती है,
ज़ब ज़ब पूरी जवानी पे आती है ये सर्दियां !
ठंडे होते हाथ पैर और दाँत किटकिटाते हैं ,
धूप से बड़ी तगड़ी दोस्ती कराती हैं ये सर्दियां !
औरों की बात भला मैं क्या समझूं,क्या जानूँ ,
मुझे तो कभी फूटी आँख ना सुहाती हैं ये सर्दियां !
कहे देती हूँ अब उनसे, रूठ जाउंगी कसम से ,
जो अगले बरस हमें अकेले काटनी पड़े ये सर्दियां!