परिवार
परिवार
एक छत के नीचे
परम्परागत
तरीक़े से
रात-दिन
एक साथ रहते
माता-पिता
दादा-दादी
भाई-बहन
बुआ- चाचा
जो दिन भर तो
स्कूल-कॉलेज
नौकरी-व्यवसाय
के लिए
सुबह से शाम
परिश्रम करते हैं
किन्तु
शाम होते ही
उसी एक छत के नीचे
पुनः आ मिलते हैं
साथ खाते-पीते हैं
सुख- दुःख बॉंटते हैं
विश्राम करते हैं
ऊर्जा संग्रहित करते हैं
नई सुबह के लिए
दूसरे दिन
फिर निकल पड़ते हैं
लौट कर पुनः वापस
आने के लिए
उसी छत के नीचे
अपने परिवार में।।